रात में हैवान दिन में इंसान बने बैठे हैं,
लोग कुछ ऐसे भी बन्दे -ए -ख़ुदा बने बैठे हैं।
ज़ार-ज़ार रोई आँखें ,ठहर गई दिल की धड़कन,
मेरे अपनों में, मेरी औकात का मंज़र देखकर।
हम कब तक ग़ैरों की तरह तेरी महफ़िल में रहें,
अपना तो कहो झूठा ही सही हर बात गंवारा हो जाये।
लोग कुछ ऐसे भी बन्दे -ए -ख़ुदा बने बैठे हैं।
बात वो कहिए कि जिस बात के सौ पहलू हों,
ताकि कोई पहलू तो रहे बात बदलने के लिए।
ज़ार-ज़ार रोई आँखें ,ठहर गई दिल की धड़कन,
मेरे अपनों में, मेरी औकात का मंज़र देखकर।
दुनिया खरीद लेगी हर मोड़ पर तुझे.
तूने ज़मीर बेचकर अच्छा नहीं किया।
हम कब तक ग़ैरों की तरह तेरी महफ़िल में रहें,
अपना तो कहो झूठा ही सही हर बात गंवारा हो जाये।
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