Tuesday, November 27, 2018

DESHBHAKTI SHAYARI

नफरतें आम सही प्यार बढ़ा कर तो देख, 
इस अँधेरे में कोई शम्मा जलाकर तो देख |  
तेरी भटकती हुई दुनिया को मिलेगी मंज़िल, 
मेरी आवाज़ में आवाज़ मिलाकर तो देखो | 




ख्वाब-ए-आज़ादी को ताबीर भी मिल जाएगी, 
मेरा फरमान-ए -मोहब्बत सुनाकर तो देख। 
ऐ गरीबों के मकानों को जलाने वाले , 
शीशमहलों को हवा में उड़ाकर तो देख। 


बच्चे-बच्चे के दिल में कोई अरमान निकलेगा 

किसी के रहीम तो किसी के राम निकलेगा, 
मगर उनके दिलों  को झाँक के देखा जाए, 
तो उनमें हमारा प्यारा हिंदुस्तान निकलेगा।




कोई मंदिर कोई मस्जिद कोई रब नहीं होता, 
दरिंदो का अपना कोई मज़हब नहीं होता, 
तबाही करने वालों का मज़हब सिर्फ तबाही है, 
लहू किसका बहा उन्हें कोई मतलब नहीं होता।


जहाँ जात धर्म के फैले जाल होते हैं, 

वहाँ हुनरमंदों के सपने बेहाल होते हैं, 
वो मुल्क़ कभी तरक्की नहीं कर सकता, 
जिस देश के वासी परायो के दलाल होते हैं।

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