Sunday, October 6, 2019

BAARISH SHAYARI || RAIN SHAYARI || बारिश/ रेन शायरी




क़ातिलाना  बस  एक नज़र  ही काफ़ी है  आपकी ,
बरसते  बादल  को उसकी औक़ात  बताने  के लिए !
....विशाल  कश्यप  राजपूत 
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याद आई वो पहली बारिश
जब तुझे एक नज़र देखा था
.....नासिर काज़मी
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उस ने बारिश में भी खिड़की खोल के देखा नहीं
भीगने वालों को कल क्या क्या परेशानी हुई
-.....जमाल एहसानी
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तमाम रात नहाया था शहर बारिश में 
वो रंग उतर ही गए जो उतरने वाले थे 
......जमाल एहसानी
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मैं वो सहरा जिसे पानी की हवस ले डूबी 
तू वो बादल जो कभी टूट के बरसा ही नहीं 
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टूट पड़ती थीं घटाएँ जिन की आँखें देख कर 
वो भरी बरसात में तरसे हैं पानी के लिए 
.....सज्जाद बाक़र रिज़वी
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अब भी बरसात की रातों में बदन टूटता है 
जाग उठती हैं अजब ख़्वाहिशें अंगड़ाई की 
...परवीन शाकिर
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साथ बारिश में लिए फिरते हो उस को 'अंजुम' 
तुम ने इस शहर में क्या आग लगानी है कोई 
...अंजुम सलीमी
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बारिश शराब-ए-अर्श है ये सोच कर 'अदम' 
बारिश के सब हुरूफ़ को उल्टा के पी गया 
...अब्दुल हमीद अदम
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शायद कोई ख्वाहिश रोती रहती है,
मेरे अन्दर बारिश होती रहती है
...अहमद फ़राज़
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 अश्रु से मधुकण लुटाता आ यहाँ मधुमास
अश्रु ही की हाट बन आती करुण बरसात
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 धुप सा रंग है और खुद है वो छाँवो जैसा
उसकी पायल में बरसात का मौसम छनके
......क़तील शिफ़ाई
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