हुस्न वालों को संवरने की क्या जरूरत है,
वो तो सादगी में भी क़यामत की अदा रखते हैं।
ये आईने क्या दे सकेंगे तुम्हें
तुम्हारी शख्सियत की खबर,
कभी हमारी आँखो से आकर पूछो
कितने लाजवाब हो तुम।
न देखना कभी आईना भूल कर देखो
तुम्हारे हुस्न का पैदा जवाब कर देगा।
मुझे दुनिया की ईदों से भला क्या वास्ता यारो,
हमारा चाँद दिख जाये हमारी ईद हो जाये
वो तो सादगी में भी क़यामत की अदा रखते हैं।
हैं होंठ उसके किताबों में लिखी तहरीरों जैसे,
ऊँगली रखो तो आगे पढ़ने को जी करता है।
ये आईने क्या दे सकेंगे तुम्हें
तुम्हारी शख्सियत की खबर,
कभी हमारी आँखो से आकर पूछो
कितने लाजवाब हो तुम।
उनके हुस्न का आलम न पूछिये,
बस तस्वीर हो गया हूँ, तस्वीर देखकर।
न देखना कभी आईना भूल कर देखो
तुम्हारे हुस्न का पैदा जवाब कर देगा।
आफ़त तो है वो नाज़ भी अंदाज़ भी लेकिन,
मरता हूँ मैं जिस पर वो अदा और ही कुछ है।
मुझे दुनिया की ईदों से भला क्या वास्ता यारो,
हमारा चाँद दिख जाये हमारी ईद हो जाये
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