Tuesday, September 4, 2018

Dil-k-kalam-se || sad poetry- Sanu Malik



कहा था ना, के यु सोते हुए,मत छोड़ के जाना ।मुझे बेशक जगा देना-बता देना,तुम्हे रास्ता बदलना है-मेरी हद से निकलना है।तुम्हे किस बात का डर था-में तुम्हे  जाने नही देता-कही पर क़ैद कर लेता।
अरे पागल,मुहब्बत की तबियत में जबरदस्ती नही होती।
जिसे रास्ता बदलना हो,उसे रास्ता बदलने से,जिसे हद से निकलना हो उसे हद से निकलने से,ना कोई रोक पाया है,ना कोई रोक पायेगा,तो तुम्हे किस बात का डर था।
मुझे बेशक़ जगा देते-में तुम्हे को देख ही लेता।
तुम्हे कोई दुआ देता ,कम से कम यू तो ना होता ।
मेरे साथी यह हक़ीक़त है,तुम्हारे बाद खोने के लिये कुछ भी नही बाक़ी, मगर में खोने से डरता हूँ , में अब सोने से डरता हूँ
कहा था न यू छोड़ के ना जाना।...✍ Sanu Malik







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